सोचा ना था

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इस कदर इंतज़ार करना पड़ेगा, किसे पता था,
इस कदर बेकरार होना पड़ेगा, किसने सोचा था,
इस कदर याद आएगी तुम्हारी, मालूम न था,
तुम प्यार बेइंतहा दोगी, गुमान ना था,
हर सांस में तुम बस जाओगी, सोचा ना था . ..

यादो में तुम्हारी यूं जीने लगेंगे, कब सोचा था,
सिर्फ ख्वाबो से अपनी ज़िंदगी सजा लेंगे, कब सोचा था,
ख्वाब पूरे भी होंगे कभी, कब सोचा था,
ख्वाब सच करने तुम खुद आओगी, कब सोचा था,
ख्वाब टूट भी सकते है कभी, सोचा ना था ….

तुम्हारी साँसे मेरी साँसे बन जाएगी, पता ना था,
दो जिस्म एक जां हो जायेंगे, पता ना था,
अपनी साँसों में तुमको जियेंगे, पता ना था,
खुद से ज्यादा तुमको चाहेंगे, पता ना था,
चाहत में खुद को इतना बेबस पाएंगे, सोचा ना था ..

क्या होगा, क्यों होगा, कैसे होगा; किसको पता है,
नसीब लिखने वाला तो खुद ऊपर बैठा खुदा है,
उसी ने बनाई है किस्मत की लकीरे हाथो में,
हाथों की लकीरे तो मैं बहुत ध्यान से देखी थी,
मेरे हाथ में उसके नाम की लकीर होगी, सोचा ना था …

छोटी सी मुलाकत प्यार बन जाएगी , कौन जानता था,
मेरी अपनी ज़िंदगी किसी और की बन जाएगी, कौन जानता था,
दिन अधूरा सा होगा बिन उसके, कब सोचा था,
वो खुद भी इतने करीब आएगी, ये गुमां ना था,
नसीब से लड़ना होगा उसे पाने के लिए, कभी सोचा ना था ..

प्यार क्या होता है, ये कभी ना समझ पाते हम,
उसके बिना ज़िंदगी में हमेशा रहता है, कुछ कम,
खोकर पाया या पाकर खोया ये समझ ना पाये हम
ना जाने फिर क्यों ये आँखें हरदम रहती है नम ,
खुद उससे ही लड़ना होगा उसे पाने के लिए, कभी सोचा ना था ….