अजनबी

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वो पल दो पल भी ठहर ना सके,लब हिले पर शब्द मिल ना सके
अनजानी सी राहों में मिले थे कभी,रास्ते फिर क्यों जुदा हो गये
अजनबी हम फिर अजनबी हो गये


यूं तो कोई कसमें वादे ना थे,मंजिल तक संग चले ऐसे नाते ना थे
पर होंगे फासले इस कदर यह भी सोचा ना था,ख्वाब से संग बीते वो पल हो गये
अजनबी हम फिर अजनबी हो गये

नमी ऑंखों में थी पर रो ना सके ,चाहकर भी तुम बिन फिर हंस ना सके
भूला दोगे मुझे यह सोचा ना था,भूल जायें तुम्हेहम यह कर ना सके
ना जाने क्यों तुम खफा हो गये ,अजनबी हम तुम फिर अजनबी हो गये,अजनबी हम तुम फिर