desire
happiness
courage
expression
confession
brave
success
personality
change
freedom
इनदिनों
मेरे हाथ
जिंदगी कि समझ का
इक मोती आ लगा है
मैं इसे जितना घिसती हूँ
ये उतना चमकता है
और
उतना ही प्रभावशाली
बनता चला जाता है
मुझमे मेरा व्यक्तित्व....
इनदिनों
मेरी खताओ को कोई
चुरा ले गया है मुझसे
मैं कोशिश भी करूँ तो
अब वो बचपन कि तरह
उस नादान उम्र कि तरह
वो गलतियां लौट कर
मेरे पास नहीं आती
डर के दुबक जाती है
कहीं किसी अँधेरे कोने में...
इनदिनों
मुझे लग रहा है
मैं आज़ाद हूँ
उड़ सकती हूँ
जितना चाहूं पंख फैलाऊं
पुरे गगन पे
अधिपत्य जमा लूँ
चूम आऊँ
वो चमकता गर्म सितारा
अपने पंखो से
उसके झुलसते चहरे पर
हवा कर दूँ ..
इनदिनों
शंख बन गयी हूँ मैं
जब भी गुंजती हूँ
सबको जगा देती हूँ
मेरे ताल में आवाज़ में
श्रद्धा उतर आई है..
कमल बन गयी हूँ
कीचड़ भी मुझपे
अपना प्रभाव नहीं डाल सकता
मेरे पंखुड़ियों कि लालियाँ
कीचड़ कभी भी
मटमैली नहीं कर सकता ..
इनदिनों
बेहद बदल गयी हूँ मैं
और अब केवल बदलाव चाहती हूँ !!
रचनाकार : परी ऍम श्लोक